मुजफ्फरनगर। हिन्दुस्तान भारत
नगर पालिका से करीब 21 साल पहले रिटायर्ड हुए लिपिक कीर्ति भूषण को नगर पालिका ने 29.22 लाख रुपए बकाया किराया राशि जमा कराने के लिए नोटिस जारी किया है। कर निर्धारण अधिकारी दिनेश यादव ने कीर्ति भूषण को 15 दिन के अंदर उक्त धनराशि जमा करने और क्वार्टर खाली करने के निर्देश दिए है।
वर्ष 2003 में लिपिक कीर्ति भूषण नगर पालिका से रिटायर्ड हो गए थे, लेकिन उन्होंने नगर पालिका का क्वार्टर खाली नहीं किया। कीर्ति भूषण लगातार पालिका पर आरोप लगाते आ रहे है कि पेंशन और अन्य देयकों का भुगतान नहीं किया गया है। कीर्ति भूषण ने पालिका से अपने देयकों और पेंशन राशि का भुगतान पाने के लिए 2018 में सिविल मिसलेनियश रिट पेटिशन संख्या 9022 दायर की। इसमें 10 जुलाई 2018 को कोर्ट ने नगरीय निकाय निदेशक को यह आदेश दिया कि वो कीर्ति भूषण को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ ही उनकी पेंशन और अन्य देयकों का भुगतान करें। पालिका ने अपने जवाब में कोर्ट को बताया कि रिटायरमेंट के बाद भी कीर्ति पालिका के आवास पर अवैध रूप से काबिज हैं। जिस कारण उनका उपादान और पेंशन भुगतन रोका गया है। इस पर शपथ पत्र के साथ कीर्ति भूषण ने कोर्ट में जवाब दिया कि पालिका ने उनको आवास आजीवन स्थाई रूप से आवंटित किया है। कोर्ट ने पिछले दिनों इस प्रकरण में प्रमुख सचिव नगर विकास और निदेशक स्थानीय निकाय निदेशालय को तलब किया था। अब नगर पालिका प्रशासन ने कीर्ति भूषण पर सख्ती दिखाते हुए कार्रवाई शुरू की है। कर निर्धारण अधिकारी दिनेश कुमार ने कीर्ति भूषण को नोटिस जारी किया है। वहीं करीब 2922988 रुपए जमा करने और क्वार्टर खाली करने के निर्देश दिए है।
2013 में आवंटन निरस्त कर क्वार्टर खाली का भेजा था नोटिस
मुजफ्फरनगर। कर निर्धारण अधिकारी दिनेश कुमार यादव ने बताया कि कोर्ट में कीर्ति भूषण ने जवाब दिया है कि 12 जून 1976 को तत्काली अध्यक्ष ने ईओ को आवास परमानेंट आवंटन करने के लिए निर्देशित किया था। 14 जून 1976 को ईओ द्वारा उनको पड़ाव भूमि पर पालिका के क्वार्टर संख्या 11 उनको स्थाई रूप से आवंटित कर दिया गया। इसके लिए 26 फरवरी 1977 की बोर्ड मीटिंग में प्रस्ताव संख्या 256 पारित किया गया। जिसमें वेतन के दस प्रतिशत किराये पर यह क्वार्टर दिया गया। कर निर्धारण अधिकारी ने बताया कि इसके बाद कीर्ति भूषण ने 16 नवम्बर 1992 को अध्यक्ष से आदेश कराते हुए पड़ाव के बजाये पालिका केम्पस में स्थित क्वार्टर नम्बर 3 को 75 रुपये प्रतिमाह किराया दर पर आवंटित करा लिया। 4 फरवरी 2013 को तत्कालीन ईओ मसूद अहमद ने उनको आवंटन निरस्त करते हुए खाली करने का नोटिस दिया था, लेकिन उस समय कोई कार्रवाई नहीं हो पायी। इसके बाद कीर्ति भूषण कोर्ट में चले गए।